मन्दसौर जिले के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ मांसाहारी जीव स्याहगोश (कैराकल) की मौजूदगी कैमरा ट्रैप में दर्ज हुई है। यह घटना जैव विविधता के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। साथ ही यह संरक्षण प्रयासों की ऐतिहासिक सफलता भी है। कैमरे में एक वयस्क नर स्याहगोश की तस्वीर मिली है। इससे साफ है कि गांधी सागर क्षेत्र की पारिस्थितिकी अब भी इतनी समृद्ध है कि यह विलुप्तप्राय प्रजाति वहां सुरक्षित रह सकती है। वर्षों बाद मध्यप्रदेश के किसी संरक्षित क्षेत्र में इस प्रजाति की पुष्टि हुई है। स्याहगोश एक शर्मीला, तेज दौड़ने वाला और रात्रिचर जीव है। यह शुष्क, झाड़ीदार और पत्थरीले इलाकों में रहना पसंद करता है। भारत में अब यह विलुप्तप्राय श्रेणी में शामिल है। इसकी मौजूदगी बहुत ही दुर्लभ मानी जाती है। गांधी सागर वनमंडल की पारिस्थितिक गुणवत्ता का यह सशक्त प्रमाण है। यह अभयारण्य अब दुर्लभ प्रजातियों के लिए सुरक्षित आश्रयस्थली बन गया है। इस सफलता के लिए मध्यप्रदेश वन विभाग और गांधी सागर अभयारण्य के अधिकारियों और कर्मचारियों को धन्यवाद दिया गया है। उनके निरंतर प्रयासों से यह जैविक चमत्कार संभव हो सका।