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तहसील प्रेस क्लब मनासा रामपुरा ने राष्ट्रपति के नाम एसडीएम को सोपा ज्ञापन


एम पी ग्रामीण न्यूज़ 

मनासा।‌।  तहसील प्रेस क्लब मनासा रामपुरा के सभी पत्रकार साथियों की ओर से राष्ट्रपति के नाम एसडीएम पवन बारिया को दोपः 12 बजे  ज्ञापन सौंपा ज्ञापन में मुकेश चंद्राकर बस्तर के बीजापुर को केंद्र बनाकर पत्रकारिता करते थे। 'बस्तर जंक्शन' के नाम से उनका अपना यूट्यूब चैनल था, जिसकी निर्मम हत्या को लेकर बहुत दुख है ऐसे ही लगातार पत्रकारों के साथ हर बार लगातार या तो मार दिया जाता है या झूठे केसों में फसाया जाता है और पत्रकार को बर्बाद किया जाता है ऐसे में हम पत्रकारों के हितों को लेकर पत्रकार सुरक्षा कानून और इसकी व्यवस्था की जाए पत्रकार एक शासन प्रशासन और आमजन के बीच की कड़ी में अहम भूमिका निभाता है और नाम मात्र विज्ञापन विज्ञप्ति में कमीशन में काम करता है भ्रष्टाचार को उजागर करता है। यही पत्रकार राजा को रंक और रंक को राजा बनाता है परंतु जब किसी पत्रकार पर कोई विपता आती है तो सब कही न कही वह अपने आप को अकेला पता है पत्रकारों मे भारी रोष मुकेश के हत्यारों को फांसी होना चाहिए एक् इन्सान  कि इतनी निर्मम् हत्या वो भी समाज के चोथे स्तम्भ् की हत्या सिर पर 15 फ्रैक्चर्स, लीवर के 4 टुकड़े, दिल फटा हुआ, 
5 पसलियां, कॉलर बोन और गर्दन टूटी हुई, बांयी कलाई पर गहरा जख्म ; शरीर का एक भी हिस्सा ऐसा नहीं था, जिस पर चोट के निशान न हों।‘ यह बस्तर के युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट में दर्ज किया गया ब्यौरा है। शव-परीक्षण करने वाले डॉक्टर्स का कहना था कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में इतनी अधिक निर्ममता से की गयी हत्या नहीं देखी, जितनी निर्ममता से इन्हें मारा गया है।   
मुकेश बस्तर के बीजापुर को केंद्र बनाकर पत्रकारिता करते थे। 'बस्तर जंक्शन' के नाम से उनका अपना यूट्यूब चैनल था, जिसके कोई पौने दो लाख सब्सक्राइबर्स थे। मुकेश की तरह यह चैनल भी विश्वसनीयता और निडरता, संजीदगी और तथ्यपरकता के लिए जाना जाता था। इस चैनल को देखने वाले सोच भी नहीं सकते थे कि इसका सम्पादक, रिपोर्टर, कैमरापर्सन, वीडियो एडिटर, डिजाइनर, टेक्नीशियन सब कुछ  33 वर्ष का एक अत्यंत धुनी और ऊर्जावान युवा है, जो सुदूर बस्तर के भी बस्तर माने जाने वाले  बीजापुर के एक कमरे में बैठकर ख़बरें तैयार कर रहा है। उनकी खबरें सचमुच की न्यूज़ होती थी, -- टेबल पर बैठकर कट पेस्ट की गयी, इधर उधर की क्लिप्स उठाकर बनाई गयी नहीं, मौके पर जाकर शूट की गयी, संबंधितों से सीधे बात करके संकलित और एकदम चुस्त संपादित कैप्सूल होती थी। इस ताजगी की वजह उनकी प्रामाणिकता और स्वीकार्यता थी ; वे धड़ल्ले से उस घने जंगल में उनके बीच भी जाकर इंटरव्यूज और बाइट ले सकते थे, जिनके बीच एसपीजी और ब्लैककैट सुरक्षा वाले नेता या अफसर जाने की सोच भी नहीं सकते। उतनी ही बेबाकी से प्रशासन से भी उसका पक्ष जान लेते थे। सीआरपीएफ के एक जवान को माओवादियों से छुड़ाकर वापस भी ला सकते थे और सत्ता और माओवादियों की हिंसा के बीच पिस रहे आदिवासियों के दर्दों को भी दिखा सकते थे l। बस्तर के मामले में वे दिल्ली, कोलकता, चेन्नई सहित देश भर के सभी मीडिया संस्थानों और नामी पत्रकारों के भरोसेमंद स्रोत थे। एक ऐसे स्ट्रिंगर, जिनका न नाम कहीं लिखा जाता था, न उनके काम का कोई दाम ही उन्हें मिल पाता था।
एक ठेकेदार ने उन्हें क़त्ल कर दिया ; नई साल की शाम लैपटॉप पर बैठने से पहले कुछ ताज़ी हवा लेने सिर्फ टी-शर्ट और शॉर्ट्स में जॉगिंग के लिए निकले थे, ठेकेदार ने उन्हें उठा लिया और निर्ममता के साथ मार डाला। तीन दिन बाद खुद पत्रकारों और उनके पत्रकार भाई मुकेश की पहल पर उनकी देह  बरामद हुई। उनके लैपटॉप पर मिली उनकी आखिरी लोकेशन के आधार पर उनके पत्रकार भाई बाकी पत्रकारों के साथ  ठेकेदार के ठीये तक पहुंचे। एक ताजे सीमेंट से चिने गए सैप्टिक टैंक में उनकी क्षत-विक्षत लाश मिली। पत्रकारों द्वारा बार-बार कहे जाने के बावजूद मौके पर मौजूदा पुलिस का एसपी उस सैप्टिक टैंक को खोलने के लिए राजी नही था, पत्रकारों और परिजनों ने खुद फावड़े उठाकर उसे खोला और मुकेश की देह उसमे तैरती मिली। जिस ठेकेदार के फार्म हाउस के सेप्टिक टैंक से यह लाश मिली है, वह कोई 132 करोड़ रूपये का मालिक बताया जाता है – इलाके का सबसे बड़ा ठेकेदार है। कुछ बरस पहले तक बावर्ची का काम करने वाले ये दोनों ठेकेदार भाई सुरेश और रीतेश चंद्राकर इतने बड़े वाले हैं कि दारिद्र्य बहुल बस्तर में उनके यहाँ जब शादी होती है, तो उसमें घोड़ी या बीएमडब्लू नहीं आती, हैलीकोप्टर आता है। निडर पत्रकार मुकेश चन्द्राकर ने ऐसी ही एक शादी की खबर कुछ साल पहले कवर की थी 
'बस्तर जंक्शन' वाले मुकेश चंद्राकर इसी शान्ति को हासिल करने का उदाहरण है ; स्थगित संविधान वह सैप्टिक टैंक था, जिसमे उनकी टूटी-फूटी देह मिली, निलंबित  लोकतंत्र वह सीमेंट था, जिससे इस टैंक को सील किया गया था। वे कार्पोरेट्स के मुनाफे की एकतरफा आवाजाही वाली पटरी पर कुचल दिए गए युवा हैं। यह एक ऐसा बर्बर हत्याकाण्ड है, जिसे एक व्यक्ति, एक युवा पत्रकार तक सीमित रहकर देखना खुद को धोखा देना होगा मुकेश के लिए सभी पत्रकारों को आगे आकर उसको न्याय दिलाने मे मदद करना चाहिए तभी उनकी आत्मा को शांति मिल पायेगी व  मुकेश  के लिए सच्ची श्रद्धांजली देते हुए अतः आपसे ज्ञापन के माध्यम से अनुरोध है

आखिर कब मिलेगी पत्रकारों को सुरक्षा

 की पत्रकार के लिए सुरक्षा के साथ सरकार की और से जमीनी पत्रकार को भूखंड आवास परिवार के इलाज में निशुल्क मिले प्रायवेट में आधे से कम की प्राथमिकता मिले और आंशिक मासिक वेतन भी दिया जावे जिसकी मांग करते हुए निर्मम हत्यारों को कठोर से कठोर सजा या फांसी मिले। जिसमे रमेश गुर्जर, बबलू चौधरी , प्रभुलाल सियार , प्रभुलाल बेस देशराज सहगल, राकेश राठौर , सिद्धार्थ चौहान अज़ीमुल्ला खान , अनिल कुशवाह, शंकरलाल भाटी व अन्य पत्रकार साथी मौजूद रहे